2008 न्यूयॉर्क के सम्मेलन में दी गयी फा की सीख
 

ली होंगज़ी
24 मई, 2008 ~ मैनहट्टन

(खड़े होकर उत्साहपूर्ण तालियाँ)

अभिवादन! (शिष्य: "प्रणाम, गुरुजी!" उत्साहपूर्ण तालियाँ) आप कड़ा परिश्रम कर रहे हैं! (तालियाँ)

आपने वास्तव में बहुत अधिक परिश्रम किया है। आप भिन्न-भिन्न क्षेत्रों और देशों से आये हैं, और भिन्न जातियों के हैं। अब संसार के लगभग प्रत्येक कोने में दाफा शिष्य पाए जाते हैं। आप सभी दाफा शिष्यों के महानतम उत्तरदायित्व को निभा रहे हैं : आप सभी चेतन प्राणियों के उद्धार की आशा हैं। आपके द्वारा तथ्य स्पष्ट करने और इस संसार में आपके कर्म तथा आचरण के कारण अनेक लोगों का उद्धार हुआ है। इसके लिए, उन चेतन प्राणियों की ओर से मैं आपका धन्यवाद करता हूँ! (शिष्य सम्मान प्रकट करते हुए तालियाँ बजाते हैं

अब वह अंतिम क्षण है जो अनगिनत युगों से नियोजित व्यवस्थाओं का समापन करता है। इतिहास का यहाँ तक पहुँचना सरल नहीं रहा है, यह अनेक कष्टों और उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। प्राचीन काल से लेकर आज तक असंख्य देवता इस कार्य को देख रहे हैं और विशेष रूप से इस अंतिम चरण में वे अत्यंत सजग हैं। वे दाफा शिष्यों की प्रत्येक क्रिया और विचार को ध्यान से देख रहे हैं। आरंभ में बहुत कुछ अनिश्चित था—इस संसार में फा के प्रचार का परिणाम क्या होगा; क्या यह इतिहास से पूर्व की महान आकांक्षा पूर्ण होगी; क्या दाफा शिष्य अंतिम समय में अपने उद्देश्य को पूर्ण कर सकेंगे, और क्या वे इसे भली-भाँति निभा पाएंगे। सफलता या असफलता का मूल प्रश्न भी था, तथा यह भी कि क्या त्रिलोक को सुरक्षित रखा जा सकेगा। और साथ ही, यद्यपि दाफा शिष्यों को फा का मान्यकरण करने का उद्देश्य सौंपा गया था, यह देखना शेष था कि क्या वे वास्तव में इसे पूरा कर पाएंगे। यह संतोषजनक है कि आपने यह कर दिखाया। चाहे मार्ग में कितनी भी कठिनाइयाँ और उतार-चढ़ाव आए हों, पीछे मुड़कर देखने पर स्पष्ट होता है कि वे सभी आपको तपाने का माध्यम थीं। उन्होंने आपको अधिक परिपक्व बनाया और इस प्रक्रिया में आपके मानव मोहभावों को कम करने में सहायता की, जिसके परिणामस्वरूप आप फल पदवी की ओर अग्रसर हुए। यही वह मार्ग है जो आपने तय किया है। जब आप पीछे मुड़कर देखेंगे, तो यह सब स्पष्ट रूप से समझ में आएगा।

आपने फा का मान्यकरण करते समय जो भी अनुभव किया है, वह सब, मैं आपको बता दूँ, अच्छा ही है—और विशेष रूप से इन वर्षों के दमन के दौरान—ये सभी बातें विशेष रूप से इसलिए होती हैं क्योंकि आप साधना करते हैं। वे परीक्षाएँ और कष्ट, चाहे जितने भी बड़े या कठोर क्यों न लगें, अच्छे ही हैं, क्योंकि वे केवल आपकी साधना के कारण घटित होते हैं। जब कोई व्यक्ति परीक्षा से गुजरता है, तो वह अपने कर्म को हटाता है और मानव मोहभावों को त्याग सकता है, और इन्हीं परीक्षाओं के माध्यम से वह उन्नति करता है। चाहे आपका उद्देश्य चेतन प्राणियों का उद्धार हो, फा का मान्यकरण करना हो, या अपनी साधना में प्रगति करना हो—वे सभी स्थितियाँ परीक्षाएँ ही हैं। केवल इसलिए कि आप सोचते हैं, “मैं यह दाफा के लिए कर रहा हूँ” या “मैं यह चेतन प्राणियों के उद्धार के लिए कर रहा हूँ,” ये परीक्षाएँ आपके मार्ग से हट जाएँगी—ऐसा नहीं होता। आप जानते हैं कि गुरु ऐसा सोच सकते हैं, परन्तु प्राचीन ब्रह्माण्ड की शक्तियाँ और वहाँ के प्राणी ऐसा नहीं सोचते, और यही आपकी चुनौती का एक भाग है। इसी कारण से वे परीक्षाएँ उत्पन्न होती हैं, और यही वह सबसे कठिन बात है जिससे दाफा शिष्यों को जूझना पड़ा है। लोगों की समझने की क्षमता, या उसकी कमी, तथा चेतन प्राणियों के भिन्न विचार और दृष्टिकोण आपके लिए चुनौती बन जाते हैं जब आप फा का मान्यकरण कर रहे होते हैं और इस संसार के प्राणियों को बचा रहे होते हैं। परन्तु उन्होंने जैसा भी व्यवहार किया हो, हमें उन्हें फिर भी बचाना है, क्योंकि उनकी समझ की कमी उनके भ्रम में पड़ जाने के कारण है। वे दाफा शिष्यों के लिए कुछ कठिनाइयाँ उत्पन्न करते हैं क्योंकि वे वस्तुओं को उनके वास्तविक रूप में नहीं देख सकते। चाहे वे सदियों या युगों पूर्व किसी भी उद्देश्य से यहाँ आए हों, उन्होंने इस अंतिम समय की ही प्रतीक्षा की है। हम केवल इस कारण से उनका उद्धार करने से मना नहीं कर सकते कि उन्होंने किसी एक जीवन काल में कुछ गलत किया या अनुचित व्यवहार किया। जब गुरु किसी प्राणी को देखते हैं, तो वे उसके सम्पूर्ण अस्तित्व को देखते हैं। यदि किसी ने इतिहास में बहुत महान कार्य किए हों, और फा के मान्यकरण में अनेक महान उपलब्धियाँ प्राप्त की हों, तो क्या हम केवल इस जीवन काल में उसके अनुचित व्यवहार के कारण उसका उद्धार नहीं करेंगे?

हाँ, कुछ लोगों ने इतना दुष्कर्म किया है कि उन्होंने अपने पूर्वनिर्धारित अवसर, अपनी संभावना, को खो दिया है, और स्वयं को उद्धार से परे कर लिया है। परन्तु आप, जो भ्रम में रहते हुए साधना कर रहे हैं और भ्रम में पड़े लोगों का उद्धार कर रहे हैं, यह नहीं जान सकते कि यह किस पर लागू होता है। इसलिए आपको परीक्षाओं का सामना करना पड़ेगा, और आप ऐसे लोगों से भी मिलेंगे जिनसे तर्क नहीं किया जा सकता। वास्तव में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बचाया नहीं जा सकता और जो उद्धार के योग्य नहीं होते। आप ऐसे लोगों से भी मिलेंगे। परन्तु इन उदाहरणों को अपने तथ्य स्पष्ट करने के कार्य या उस कार्य के तरीके को प्रभावित न करने दें, और उन्हें आपकी सही विधि को बदलने ना दें। इस संसार में गुरु को जो परीक्षाएँ और दबाव झेलने पड़ते हैं, उनकी संख्या प्रतिदिन कई हजारों से अधिक होती है, फिर भी कोई भी मुझे डगमगा नहीं सका है, और यह संभव भी नहीं है। कोई भी वह नहीं बदल सकता जो मैं करना चाहता हूँ। कोई भी उसे नहीं बदल सकता, चाहे जिस भी रूप में परीक्षाएँ मेरे सम्मुख आएं। यही बात आपके फा के मान्यकरण करने पर भी लागू होती है। किन्तु आपके लिए, जब आप फा का मान्यकरण कर रहे हैं और प्राणियों का उद्धार कर रहे हैं, तो आप अभी साधक हैं, और साधकों में मानवीय मोहभाव होते हैं, अन्यथा वे देवता होते। और क्या कोई देवता साधना कर सकता है? देवता साधना नहीं कर सकते। केवल वे ही जिनके मानव शरीर हैं, साधना कर सकते हैं, और वही वास्तविक साधना कहलाती है। अतः ठीक इसी कारण से कि आपके पास यह मानव शरीर है, आपको साधना और सुधार का अवसर प्राप्त हुआ है। यह अवसर अत्यंत दुर्लभ और बहुमूल्य है—विशेषकर जब दाफा शिष्यों के पास इतना महान उद्देश्य है। इसलिए आपकी साधना में, चाहे जो भी परीक्षा आये या आप किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना करें, आप उन बातों के कारण [अपने मार्ग को] बदलने नहीं दे सकते।

यह विशेष रूप से इन वर्षों में अत्यंत महत्वपूर्ण है जब वे दाफा शिष्यों पर दमन कर रहे हैं, यद्यपि यह बाहरी रूप से ऐसा प्रतीत होता है कि एक दुष्ट दल चीन के लोगों और साधकों का दमन कर रहा है, वास्तव में इस संसार में कोई भी बात ऐसी नहीं है जो बिना ब्रह्मांडीय कारणों के टिक सके या अस्तित्व में रह सके, यदि सूक्ष्म जगत के कारक न हों, तो कोई भी बात संभव नहीं होती। उस दुष्ट दल के पीछे जो शक्तियाँ हैं, वे दुष्ट प्राणी हैं, जो ऊपर से तो एक दुष्ट लाल ड्रेगन के जैसे दिखायी देते हैं, परन्तु उनके भीतर अनेक अणु, कण, और कुछ निम्न स्तर के सड़े-गले आसुरिक प्राणी होते हैं—एक गंदा मिश्रण। दाफा शिष्यों के मार्ग में बाधा डालने के लिए प्राचीन शक्तियां इन्हीं का प्रयोग करती हैं।

हाल ही में, न्यूयॉर्क के फ्लशिंग में पार्टी-त्याग केंद्र पर दुष्ट पार्टी के गुंडों ने दाफा शिष्यों पर आक्रमण किया। आपने देखा होगा कि इसी प्रकार की घटनाएँ अन्य क्षेत्रों में भी हुई हैं, हालाँकि वे इतनी बुरी नहीं थीं। देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि इन बुरे लोगों का उद्देश्य आप पर आक्रमण कर आपको बिखेरना और पार्टी-त्याग की गतिविधियाँ रोकना था। वे डरे हुए हैं, क्योंकि यह केंद्र उनको एक काँटे की तरह चुभता है। एक “पार्टी-त्याग केंद्र” या “दुष्ट सीसीपी छोड़ने का केंद्र” का सार्वजनिक रूप से अस्तित्व में होना उनके लिए निरंतर क्रोध और झुंझलाहट का कारण है। वास्तविकता यह है कि यह स्थान दुष्टता को नष्ट करने के लिए एक शक्तिशाली स्थान है, और यही कारण है कि वे उससे डरते हैं। तो यदि आप इसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें, तो पार्टी-त्याग केंद्र क्या है? क्या वह एक ऐसा स्थान नहीं है जहाँ चेतन प्राणियों को बचाया जाता है? दुष्टता में डरने जैसा कुछ नहीं है। मैं यह कहना चाहता हूँ कि जब ये आक्रमण और व्यवधान हुए, तब—जैसा कि हमेशा होता है—कुछ ऐसे लोग सामने आए जो साधना के प्रति दृढ़ नहीं हैं या जिनमें बहुत अधिक मानवीय मोहभाव हैं। वे इन घटनाओं को मानवीय सोच से देखते हैं। क्या अच्छाई और बुराई संसार के लोगों के सामने वास्तव में प्रकट नहीं हो रही हैं? क्या ऐसे प्राणी जो बचाने के योग्य हैं, पहचाने नहीं जा रहे? जैसा कि मैंने पहले कहा, कुछ प्राणी बचाने के योग्य नहीं होते। आप हर व्यक्ति को तथ्य स्पष्ट कर सकते हैं, लेकिन हर चलते-फिरते व्यक्ति को बचाया नहीं जा सकता, क्योंकि कुछ अब योग्य नहीं रह गए हैं। निर्णायक समय पर, परिणाम इस पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति स्वयं को कहाँ रखता है और वह किन विचारों और कर्मों के साथ व्यवहार करता है। क्या उस व्यक्ति के कर्म अच्छे विचारों से उत्पन्न होते हैं या बुरे विचारों से? देवता हर व्यक्ति के विचार देख रहे हैं और यह निर्णय ले रहे हैं कि उस प्राणी को रखा जाए या नहीं। दूसरी ओर से देखें तो क्या ये घटनाएँ स्वयं उन प्राणियों को बचाने का एक अवसर नहीं हैं जिन्हें बचाया जा सकता है? क्या दाफा साधना, फा-सुधार या फा के मान्यकरण में कोई भी घटना ऐसे ही घटती है? क्या यह घटना स्वयं प्राणियों को नहीं बचा रही है? इसने समाज में इतना बड़ा प्रभाव उत्पन्न किया है, और हर कोई इस पर चिंतन कर रहा है। जैसा कि मैंने पहले कहा था, यदि दुष्ट सीसीपी कुछ भी न करे तो वह अपने लिए परेशानी से बच सकती है; परंतु जब भी वह कुछ बुरा करती है, विशेष रूप से दाफा शिष्यों के प्रति, तो वह स्वयं के लिए कलंक और असफलता का कारण बनती है, और अंततः दाफा शिष्यों के कार्यों में सहायता ही करती है। वे शिष्य जिनमें बहुत अधिक मानवीय मोहभाव हैं, उन्हें मेरी बातों को याद रखना चाहिए। हो सकता है अभी आप इसे समझ पा रहे हों, परंतु जब अगली बार कुछ घटे, तो इसे ना भूलें, और फिर से उसे मानवीय दृष्टिकोण से ना देखें।

अंततः उनका प्रयास असफल रहा, और बुरी तरह असफल रहा—जैसे किसी ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार दी हो। जब वे मुख्यभूमि चीन में दाफा शिष्यों पर इतना कठोर दमन कर चुके हैं, फिर भी वहाँ के शिष्यों ने उसे पार कर लिया, और वे दृढ़ निश्चय से डटे रहे। तो फिर ये चालें चीन के बाहर कैसे सफल हो सकती हैं? हमें डरने की क्या आवश्यकता है? दाफा शिष्यों का अटल संकल्प डगमगाने वाला नहीं है। शारीरिक आक्रमण और अभद्रता केवल उनकी कमजोरी को दर्शाते हैं। इस समाज में शारीरिक आक्रमण एक अपराध है। इसलिए, इन दुष्ट कार्यों से भयभीत न हों, और उन झूठ में न फँसें जो वे साधारण लोगों को भ्रमित करने के लिए फैलाते हैं। कहा जा रहा है कि साधारण लोगों की इस विषय पर अपनी सोच है—तो क्या? साधारण लोगों की तो अनेक प्रकार की सोच होती हैं। आप ही वे हैं जो उन्हें बचा रहे हैं, इसलिए आपको यह स्पष्ट रूप से जानना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं और किस उद्देश्य की ओर अग्रसर हैं।

आरंभिक काल में जब मैंने फा-सुधार आरम्भ किया था, तब देवताओं ने एक बात निश्चित की थी—कि दुष्ट पार्टी चाहे जो भी करे, उसका उद्देश्य कुछ भी हो, वह अंततः मेरी और दाफा शिष्यों की सहायता ही करेंगे। इसलिए जब भी दुष्ट सीसीपी कोई बुरा कार्य करना चाहती है, वह कार्य आरंभ होते ही असफलता और बदनामी में बदल जाता है। यदि आप निष्पक्ष रूप से ध्यान दें, तो देखेंगे कि पिछले नौ वर्षों में जो भी घटा है, वह इसी प्रकार हुआ है। दुष्ट सीसीपी जानती है कि उसकी गुंडागर्दी वाली शासन प्रणाली संसार के लोगों की दृष्टि में विकृत है, इसलिए वह हमेशा जनता के सामने एक मुखौटा लगाने का प्रयास करती रही है। अब वह मुखौटा भी टूट चुका है, और उसका नकाब हट गया है, इसलिए अब वह जानती है कि वह दिखावा नहीं कर सकती और खुलकर आक्रामक व्यवहार कर रही है। आज यह गुंडा शासन और संपूर्ण सरकार, जिसमें उसकी विदेशी दूतावासें भी सम्मिलित हैं, केवल फालुन गोंग के लिए ही अस्तित्व में हैं। यह विशाल तंत्र आपके साथ-साथ चलता है और आपको स्पष्ट रूप से प्रमुखता देता है—क्या यह अद्भुत नहीं है, ऐसा कुछ जो पहले कभी नहीं हुआ! वे अब दिखावे की परवाह नहीं करते तथा घटिया और नीच चालों के साथ बुरे कार्यों में जुटे हैं। यह देखने में बहुत डरावना लग सकता है, पर मैं कहता हूँ कि यह उनके नष्ट होने से पहले की अंतिम गतिविधि है। (तालियाँ) बस देखते रहिए, और आप पाएंगे कि यह नाटक इसी प्रकार समाप्त होगा। यह इतिहास की वह अवधि है जिसे दाफा शिष्यों द्वारा चेतन प्राणियों के उद्धार के लिए व्यवस्थित किया गया था, तो फिर आपने प्रमुख भूमिका क्यों नहीं निभायी? उन साधारण लोगों की बातों को इतनी प्राथमिकता क्यों दी जाए जो दुष्ट पार्टी की संस्कृति से प्रभावित हैं? आपने दुष्टता के दमन को इतना महत्व क्यों दिया? यह बात गंभीर विचार करने योग्य है। 1999 में दमन शुरू होने से पहले, गुरु ये बातें नहीं कहते, लेकिन अब आप वे दाफा शिष्य हैं जिन्होंने यह सब पार किया है, और आप वे दाफा शिष्य हैं जो शीघ्र ही फल पदवी प्राप्त करने वाले हैं। (तालियाँ)

वर्तमान में, जब फा-सुधार निरन्तर आगे बढ़ रहा है, तो सतही स्तर पर सब कुछ ऐसा प्रतीत होता है जैसे एक सुई चुभाने से ही सब कुछ फट जाएगा। अब उसका बहुत थोड़ा ही भाग शेष है। दुष्ट प्राणी बड़ी मात्रा में नष्ट हो रहे हैं, और इस समय यदि दाफा शिष्य शक्तिशाली और पवित्र विचार बनाए रखें, तो दुष्ट प्राणी अब कोई प्रतिरोध नहीं कर सकते। जब भी वे कोई दुष्ट कार्य करते हैं, उन्हें बहुत सारे सड़े-गले आसुरिक जीवों को एकत्रित करना पड़ता है, और वे लगभग पूरी शक्ति के साथ प्रकट होते हैं। यह जो कुछ भी हो रहा है, वह ब्रह्मांड का फा-सुधार और शुद्धिकरण है, इसलिए वे समाप्त किये जा रहे हैं, और यही कारण है कि दुष्टता की शक्ति धीरे-धीरे मिट रही है। फिर जब उनका पूर्ण विनाश हो जाता है, तो वे कुछ समय के लिए शांत हो जाते हैं। हर बार यही होता है। इस दृष्टिकोण से देखें तो, दाफा शिष्यों के लिए और भी अधिक आवश्यक है कि वे शांत और स्पष्टचित्त रहें। आप पहले ही अपनी साधना का सबसे कठिन भाग पार कर चुके हैं, इसलिए अब अपने मार्ग के अंतिम चरण पर अच्छी तरह से चलें, और उस मार्ग को संजोएं जिसे आपने तय किया है! यह सरल नहीं था, और आपने अभूतपूर्व परीक्षाओं को पार किया है। आपको इसे संजोकर रखना चाहिए। जो गौरव भविष्य में आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, वह महान पुण्य है जो आपने फा के मान्यकरण के प्रयासों में अर्जित किया है, और जो कुछ भी आपकी प्रतीक्षा कर रहा है वह सर्वश्रेष्ठ होगा। (तालियाँ)

किसी विशेष क्षेत्र में अपेक्षाकृत कम शिष्यों के होने को, या कुछ क्षेत्रों में हमारे शिष्यों के बीच चल रहे विवादों के होने को, फा का मान्यकरण करने, चेतन प्राणियों को बचाने, या यहाँ तक कि अपनी स्वयं की साधना के प्रति निष्क्रिय होने का कारण ना बनने दें। तब तो आप स्वयं को ही नष्ट कर रहे होंगे। आपको जानना चाहिए, और मैं यह हमेशा से कहता आया हूँ, कि जब आप, दाफा शिष्यों के रूप में, किसी वस्तु को देखते हैं, तो आपको अवश्य यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप उसे विपरीत दृष्टिकोण से देखें क्योंकि त्रिलोक पलटा हुआ है, और आपको अपने आचरण को सकारात्मक, उचित रखना चाहिए। जो बातें साधारण लोग अच्छी नहीं मानते, वे साधकों के लिए—उन प्राणियों के लिए जो इस स्थान से निकलना चाहते हैं—अच्छी होती हैं। यदि आपके विचार भी साधारण लोगों जैसे हैं, तो आप सदैव एक साधारण व्यक्ति ही रहेंगे और कभी यहाँ से बाहर नहीं जा पाएंगे। तो, जब आप किसी परीक्षा का सामना करते हैं, वह आपके सुधार का एक उत्तम अवसर होता है। यदि आप भीतर की ओर झांक सकें, तो वह कठिन परिस्थिति एक अवसर बन जाएगी, जिसे पार किया जा सकता है और एक नयी अवस्था में प्रवेश करने का अवसर बन सकता है। आपने अब तक चीजों को इस प्रकार क्यों नहीं देखा? जैसे ही आप परीक्षा का सामना करते हैं, आप उसे दूर ढकेल देते हैं। जैसा कि मैंने कहा, भले ही आप फा का मान्यकरण करने और चेतन प्राणियों को बचाने को लेकर बहस करते हैं, या कुछ अप्रिय बातें सुनते हैं, वे सब आपके सुधार के लिए ही होती हैं, क्योंकि आपका सुधार सबसे पहले आता है। आपके सुधार के बिना, कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता, और उसमें चेतन प्राणियों को बचाना भी सम्मिलित है। यदि आप सुधार करने में असफल रहते हैं और फल पदवी प्राप्त नहीं कर पाते, तो जो प्राणी आपने बचाए हैं, वे कहाँ जाएंगे? उन्हें कौन अपनाएगा? आपने ऐसा दृष्टिकोण क्यों नहीं अपनाया? निस्संदेह, जब आप साधारण लोगों के बीच होते हैं, तो हर पल सब कुछ उत्तम प्रकार से करना और वास्तव में वैसा बन पाना भी कठिन होता है। परंतु कम से कम, प्रमुख विषयों पर—जैसे चेतन प्राणियों को बचाने, या साधना के लिए—आपको ऐसा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, है ना? वे जो पीछे छूट गए हैं, निष्क्रिय हो गए हैं, शिकायतों से भरे हैं, दूसरों के प्रति तीव्र आक्रोश रखते हैं, या जिनका ध्यान दाफा एसोसिएशन के सदस्यों पर केंद्रित है—आप में से कोई भी स्वयं की साधना नहीं करना चाहता, और इसके स्थान पर बाहर की ओर देख रहे हैं। यदि दाफा एसोसिएशन के सदस्य उत्तम साधना करें, यदि अन्य लोग उत्तम साधना करें, या यदि साधारण लोग सभी अच्छे बन जाएं, तो उससे आपको क्या लाभ होगा? आप क्या प्राप्त करेंगे? तब आपने केवल समाज के लिए कुछ योगदान दिया होगा और कुछ अच्छे कार्य किए होंगे, बस। परंतु यही साधकों का उद्देश्य नहीं होता। वह तो केवल साधारण लोगों में एक अच्छा व्यक्ति बनना हुआ, और वह फल पदवी की ओर नहीं ले जा सकता। अतः जब आप साधना करते हैं, तो आपको अपने मन की साधना करनी चाहिए, मानवीय मोहभावों को त्यागना चाहिए, और वस्तुओं को पवित्र विचारों के साथ देखना चाहिए।

जब त्रिलोक की रचना की गई थी, वह विपरीत तरीके से की गई थी। यहाँ कोई सकारात्मक, उचित सिद्धांत नहीं हैं। यदि होते, तो शाक्यमुनि या यीशु को यहाँ आने की आवश्यकता नहीं होती, और फा प्रदान करने की बात नहीं होती, और न ही फा का सुधार यहाँ होता। यहाँ के सिद्धांत विपरीत हैं, और लोग जो कुछ करते हैं और जिस प्रकार करते हैं, वह विपरीत होता है। जो चीज़ें यहाँ के लोगों को सुगंधित लगती हैं, वे वहाँ दुर्गंधित होती हैं, और जो वस्तुएं यहाँ के लोग अच्छी मानते हैं, वे वहाँ बुरी हो सकती हैं। देवताओं की दृष्टि में, जिन्हें मानव नायक मानते हैं, वे, वे लोग होते हैं जो भावनात्मक आवेगों और इच्छाओं द्वारा प्रेरित होकर युद्ध करते हैं और जो चाहते हैं वह प्राप्त करते हैं। परंतु देवताओं की दृष्टि में, जो लोग युद्ध के माध्यम से राजनीतिक सत्ता प्राप्त करते हैं, वे डकैत होते हैं। और वास्तव में मानव जाति इसी प्रकार अस्तित्व में रही है, [मानव-स्तरीय सिद्धांत का अनुसरण करते हुए] "सैन्य शक्ति से संसार पर विजय पाकर, विजेता शासन करता है,", और यह सदैव से ऐसा ही रहा है—सकारात्मक, उचित सिद्धांतों से रहित। सब कुछ उलटा है। और इसी कारण से, क्योंकि वस्तुएं उलटी हैं, यह लोगों को साधना करने में सक्षम बनाता है और आपको यह अवसर देता है कि आप उस विपरीत में डूबे रहते हुए वस्तुओं को एक सकारात्मक, उचित दृष्टिकोण से देखें और जो "बुरा" लगता है उसे अच्छा मानें। निस्संदेह, आप इस आयाम की अवस्था को बाधित नहीं कर सकते और न ही जानबूझकर ऐसी बुरी बातें कर सकते हैं जो सामान्यतः स्वीकृत सिद्धांतों का उल्लंघन करती हों। जब आप स्वयं की साधना करते हैं, तो आपको वे बातें, जिन्हें आप कठिनाई, भावनात्मक आघात, या जो आपके शिनशिंग को प्रभावित करती हैं, उन्हें अच्छी बातें माननी चाहिए। यदि आप उन सभी कठिनाइयों, परीक्षाओं, आदि को जो आप झेलते हैं, बुरा मानते हैं, तो आप एक साधारण व्यक्ति हैं। कठिनाई कर्म के ऋण का भुगतान है, और जो बातें सहज नहीं होतीं वे आपके शिनशिंग को ऊंचा उठाने में सक्षम होती हैं। यह साधारण लोगों पर भी लागू होता है, वास्तव में—यह सब कर्म को हटाने के विषय में होता है, और जब कोई अपने कर्म से मुक्त हो जाता है तो वह अपने अगले जीवन में समृद्ध होगा। बात केवल यह है कि लोग इसे समझ नहीं पाते। एक साधक को अपने कर्म को कम करना होता है, साधना के माध्यम से अपने शिनशिंग को सुधारना होता है, और अंत में फल पदवी प्राप्त करनी होती है। एक दाफा शिष्य के लिए, यह फा की सबसे मौलिक शिक्षा है और सबसे आधारभूत बात। परंतु कुछ लोग अभी भी, कई वर्षों के पश्चात, अपने विचारों को मौलिक स्तर पर नहीं बदल पाए हैं। आप कितने वर्षों से साधना कर रहे हैं? आप अब भी वस्तुओं को इस प्रकार नहीं देख पाते, और अब भी उन्हें एक सकारात्मक, सही दृष्टिकोण से देखने में असफल रहते हैं। आपने जो पत्र मुझे लिखे, और जो आपने रिपोर्ट किया, उन्हें पढ़कर मुझे वास्तव में दुख हुआ। आप सांसारिक वस्तुओं से इतने मोहभाव से क्यों जुड़े हुए हैं? इसमें मैं आपके वे मोहभाव भी सम्मिलित करता हूँ जो विभिन्न क्षेत्रों की दाफा एसोसिएशन से जुड़े हैं। दाफा एसोसिएशन की स्थापना केवल इस उद्देश्य से की गई थी कि वे दाफा शिष्यों को फा का मान्यकरण करने में सुविधा दें। उनके सदस्य आदर्श नहीं होते, और वे गुरु नहीं हैं। परंतु आपको इस रूप को संजोकर रखना चाहिए, क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर समन्वय में सहायता कर सकता है जिससे फा का बेहतर मान्यकरण किया जा सके और चेतन प्राणियों को अधिक प्रभावी ढंग से बचाया जा सके।

हमारे पास अभी जो सबसे बड़ी समस्या है, वह वही है जिसे मैंने अभी-अभी बताया। अर्थात, जब आप अपनी साधना नहीं करते और भीतर की ओर नहीं देखते। गुरु को यह चिंता नहीं है कि चीज़ें "अव्यवस्थित" हो रही हैं। गुरु आपसे कहीं अधिक स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, तो मुझे आपको समस्याओं की रिपोर्ट करने की आवश्यकता नहीं है। जो आपने लिखा है, वह वास्तव में आपके मोहभावों और मानवीय विचारों को उजागर करता है, जो पन्नों पर बिखरे हुए हैं। गुरु यहाँ क्यों आए हैं? गुरु सबसे सटीक रूप से यह पहचान सकते हैं कि क्या उचित है और क्या नहीं है। आप सभी जानते हैं कि डिवाइन परफॉर्मिंग आर्ट्स के साथ हम परिपूर्ण अच्छाई और सुंदरता क्यों प्रस्तुत कर पा रहे हैं, और क्यों केवल एक वर्ष से थोड़े अधिक समय से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं का एक समूह विश्व का सर्वोत्तम, प्रथम श्रेणी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने में सक्षम है। यह इसलिए है क्योंकि गुरु ने इसे सुनिश्चित किया है। साधारण लोग यह प्राप्त नहीं कर सकते। गुरु फा-सुधार करने के लिए आये हैं—यदि मेरे आस-पास की चीज़ें "अव्यवस्थित" हों तो मैं फा-सुधार कैसे कर सकता हूँ? मेरी ओर से कुछ भी नहीं बदलेगा। अच्छा और बुरा मापने का मानक मेरे पास है। मैं आपको बड़ी सटीकता से बता सकता हूँ कि आपका हर शब्द, क्रिया, विचार, या दृष्टि क्या दर्शाते हैं। बस इतना है कि गुरु आपको यह नहीं बताते, जिससे आपको अधिक अवसर मिल सकें, यह जानते हुए कि लोग अपनी साधना करते हुए कैसे हो सकते हैं। जो मैंने अभी कहा वह आपके लिए एक चेतावनी देने के लिए था, और यह बताने के लिए था कि आपको अपनी साधना की यात्रा का मुल्य समझना चाहिए। यह सरल नहीं था, मेरे दाफा शिष्यों। आपने सबसे कठोर दमन को पार किया है, और वह सम्मान और गौरव अब आपके पास है, तो अब बस यह बात है कि और भी बेहतर कैसे किया जाए।

निश्चित ही, जो मैंने अभी कहा वह कमियों पर केंद्रित था। यदि हम अच्छे विषयों की बात करें, तो मैं कहूँगा कि दाफा शिष्य सच में असाधारण हैं। आपने बहुत सी चीज़ें की हैं जो दाफा शिष्यों को करनी चाहिए, अपने आप में सुधार किया है और अपने शक्तिशाली पुण्य को स्थापित किया है, और इसके साथ आपने संसार के चेतन प्राणियों को बचाया है। और यह केवल इस संसार के प्राणी नहीं हैं। हालाँकि हम वह देख सकते हैं जो यहाँ है, परंतु यदि किसी प्राणी के पीछे एक विशाल जीवों का समूह हो, जो ब्रह्मांड में विस्तारित है, तो यह सचमुच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण बात है। हाँ, इस पर विचार करें : यदि समस्त त्रिलोक का सृजन इस कार्य के लिए किया गया था, तो वे कौन से प्राणी हैं जो फा-सुधार के दौरान यहाँ मनुष्य या किसी अन्य जीव के रूप में आये हैं? यह कोई साधारण बात नहीं है। परंतु मानव संसार, आखिरकार, एक मानव संसार है। चाहे अनेक देवता यहाँ क्यों न आये हों, यह एक दिव्य समाज की तरह नहीं होगा। यह संभव नहीं है, और यह पहले ही ध्यान में रखा गया था। जब कोई यहाँ आता है, तो उसे एक मानव होने की स्थिति में आना होता है। केवल तभी वह साधना कर सकता है—केवल जब वह भ्रम में होगा, तब ही उसके पास यह अवसर होगा। यही कारण है कि कुछ लोग [मानक को] पूरा नहीं कर पाये हैं, और कुछ कर पाये हैं। यही इस संसार का तरीका है।

जब मैं थोड़ी देर पहले यहाँ आया था, तो मैंने देखा कि आप डिवाइन परफॉर्मिंग आर्ट्स और फे तियान अकादमी ऑफ आर्ट्स के युवा दाफा शिष्यों के बारे में एक छोटा वीडियो देख रहे थे। लेकिन वास्तव में, इसके अतिरिक्त और भी बहुत कुछ है। दाफा शिष्यों ने पूरे संसार में जो कुछ किया है, वह बहुत भावुक करने वाला और प्रेरणादायक है, केवल यह है कि वह इस संसार में फिल्म के रूप में नहीं बनाया गया है। लेकिन ब्रह्मांड में आपकी फिल्में हैं। (तालियाँ) एक भी अच्छा काम जो आपने किया है, वह छूटा नहीं है—सभी को वीडियो में रिकॉर्ड किया गया है। सचमुच वीडियो रिकॉर्डिंग्स हैं। वे सारी चीज़ें रिकॉर्ड की जा रही हैं, क्योंकि वे उस मार्ग का भाग हैं जिसे आपने तय किया है, और यह आपका गौरव है।

तो मैंने कुछ बातें सामान्य रूप से कही हैं। बहुत सी बातें ऐसी हैं जिन्हें गुरु अधिक स्पष्ट रूप से, बहुत अधिक, या बहुत व्यापक रूप से नहीं बताना चाहते। इसका कारण यह है कि एक बात है जो कुछ लोग अभी भी स्पष्टता से समझ नहीं पाये हैं, हालाँकि मैंने इसे कई बार बताया है : वह यह कि आप ही फा का मान्यकरण कर रहे हैं, गुरु नहीं। केवल जब आप अपने स्वयं के मार्ग पर चलकर फा का मान्यकरण करते हैं, तब आप अपना सुधार कर सकते हैं और अपना शक्तिशाली पुण्य स्थापित कर सकते हैं। तो आपको यह स्वयं करना होगा। यही कारण है कि जब कभी लोग गुरु से हर परियोजना के बारे में या व्यक्तिगत रूप से कुछ करने की योजना के बारे में पूछते हैं, “मुझे इसे कैसे करना चाहिए?” तो आप बस अपना शक्तिशाली पुण्य गुरु को दे रहे होते हैं। निश्चित ही, मुझे यह कैसे करना है, यह पता है। लेकिन यदि मैं आपको इसे स्पष्ट रूप से बताऊँ, तो आपके पास कुछ भी नहीं होगा, और जब आप इसे करेंगे, तो आप बस मुझे इसे करने में सहायता करेंगे और अपना शक्तिशाली पुण्य स्थापित नहीं करेंगे। जो शक्तिशाली पुण्य उन चीज़ों के साथ प्राप्त होता है, वह केवल गुरु के लिए ही होगा। यही कारण है कि जब भी आप मुझसे कुछ पूछने आये, मैं उत्तर नहीं देना चाहता था, और कभी-कभी मैंने आपको अप्रसन्नता भी दर्शायी, क्योंकि मैं चाहता था कि आप स्वयं यह सब समझें। अपना मार्ग स्वयं तय करें और उस अवसर को न खोएं। आप यह क्यों नहीं समझ पाते? (गुरुजी हंसते हैं) आप हमेशा मुझसे एक के बाद एक प्रश्न पूछते रहते हैं। गुरु दाफा शिष्यों द्वारा किए गए कार्यों की पुष्टि करते हैं। जब तक आप फा का मान्यकरण करने और चेतन प्राणियों को बचाने की इच्छा से काम कर रहे हैं, मैं जो कुछ भी आप करते हैं, उसकी पुष्टि करूंगा। और जब आप ये काम करेंगे, तो वहाँ मेरे फा शरीर या देवता होंगे जो इसे और बढ़ाएँगे और जो आप करते हैं उसे और भी अद्वितीय और असाधारण बना देंगे, और वे आपकी सहायता करेंगे। (तालियाँ) आप अक्सर चीज़ों को इस तरीके से नहीं देखते, और जैसे ही आप किसी चुनौती का सामना करते हैं, आप गुरु के पास आ जाते हैं। लेकिन जब वह कठिनाई आती है, तो वही समय है जब आपको अपनी साधना में उन्नति करनी चाहिए, शक्तिशाली पुण्य स्थापित करना चाहिए, और गौरव प्राप्त करना चाहिए। आज के लिए बस इतना ही।




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